“ये जिंदगी एक संघर्ष है, एक पहेली है जिसे सुलझाना है, इससे हताश हो जाना कोई उपाय नहीं है।” आजकल हम देखते हैं कि जीवन में एक छोटी सी समस्या आने पर ही लोग जिंदगी से परेशान हो जाते हैं। ये लगभग उस गाने की तरह है जिसके लिरिक्स कुछ इस प्रकार हैं, “दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है, लोगों का गम देखा तो मैं अपना गम भूल गया।” हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इस दुनिया में न जाने कितने लोग ऐसे हैं जिनकी समस्या को अगर आप सुनेंगे तो आपको अपनी समस्या सुई की नोंक से भी छोटी लगने लगेगी। जी हाँ दोस्तों, आज हम आपको एक ऐसी ही सच्ची कहानी से रूबरू कराने वाले हैं जिसे पढ़ने और देखने के बाद आपकी आँखें नम हो जाएगी। ये दर्द भरी कहानी है जयपुर में टेचू सर्कल के फुटपाथ पर रेहड़ी की दुकान लगाने वाले दत्ता जी की। चलिए आपको बताते हैं पैर न होने के बावजूद दत्ता जी ने कैसे कमर दर्द की तकलीफदेह समस्या से संघर्ष किया और राहत पायी?
दत्ता जी की हस्ती खेलती जिंदगी कैसे उजड़ गई?
दत्ता जी अपने परिवार के साथ पुणे, महाराष्ट्र में रहते थे। वह अपने माता-पिता और भाई-बहन के साथ एक खुशहाल जिंदगी जी रहे थे। उनकी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन शायद कुदरत को ये मंजूर नहीं था और न ही दत्ता जी को पता था कि उनके जीवन में इतना बड़ा मोड आने वाला है। एक दिन की बात है जब दत्ता जी सुबह-सुबह अपने घर से निकले 11 बजे रेल्वे स्टेशन पर पहुंचे। ट्रेन के आने का समय हो चला था, लोग ट्रेन के आने के इंतजार में थे। थोड़ी ही देर में ट्रेन धड़-धड़ आती हुई स्टेशन पर घुसने लगी। ट्रेन आई और चली गई लेकिन इसी बीच यात्रियों के चढ़ते और उतरते समय एक हादसा हुआ। दत्ता जी इस हादसे की चपेट में आ गए पुलिस आई और उन्हें अस्पताल ले गई। जब दत्ता जी को होश आया तो उन्हें पता चला कि ट्रेन हादसे में उनके दोनों पैर कट चुके हैं। जब ये खबर उनके घर वालों को पता चली तो ऐसी हालत हो गई मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो।
परिवार की जिम्मेदारियाँ उठाने वाले दत्ता जी अब अपने ही परिवार के लिए बोझ बन चुके थे। अपनी किस्मत को कोसने, रोने और दर्द सहने के अलावा दत्ता जी अब कुछ नहीं कर सकते थे। इस हादसे के बाद दत्ता जी की जिंदगी कई सालों तक बिस्तर पर ही बीतती रही। खाने-पीने और बेड पर लेटे रहने के अलावा दत्ता जी के पास और कोई काम नहीं था। लेकिन कब तक, कोई कब तक उन्हें इस तरह से खिलाता रहेगा? ये सवाल उनके दिमाग में चलता रहता था।
जयपुर की सरकारी संस्था बनी हमदर्द
इसी बीच एक दिन जब दत्ता जी बिस्तर पर लेटे-लेटे टीवी देख रहे थे तो उन्हें जयपुर की एक सरकारी संस्था के बारे में पता चला जो विकलांग लोगों को नकली पैर लगाकर उनकी मदद करती है, दत्ता जी ने इस संस्था से कान्टैक्ट किया और जयपुर पहुँच गए। संस्था ने उनकी मदद की, नकली पैर लगवाए और एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए व्हीलचेयर भी उपलब्ध कराई। जिससे दत्ता जी को अपनी जिंदगी आसान लगने लगी और उनके अंदर जिंदगी जीने की एक नई उम्मीद जागी।
सरकारी संस्था से मदद मिलने के बाद दत्ता जी ने कुछ पैसे जुटाए और अपनी जिंदगी का गुजारा करने के लिए फुटपाथ पर बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, नमकीन, बिस्किट, चिप्स इत्यादि बेचना शुरू कर दिया। सुबह के 8 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक दुकान चलाने लगे और विधानसभा के सामने कच्ची बस्ती में किराये का एक कमरा लेकर जयपुर में ही रहना शुरू कर दिया। रोजाना सुबह उठते खुद से सारा सामान व्हीलचेयर पर लादते, और बस्ती से एक किलोमीटर दूर टेचू सर्कल पर जाकर फुटपाथ पर अपनी दुकान लगाते।
रेहड़ी लगाते-लगाते शुरू हुआ कमर दर्द
दत्ता जी की जिंदगी ठीक से चलना शुरू ही हुई थी कि उनके जीवन में एक और समस्या ने दस्तक दे दी। दरअसल, घंटों तक बैठे रहने की वजह से उनकी रीड की हड्डी में दर्द होना शुरू हो गया। दर्द झेलने की आदत होने की वजह से दत्ता जी कमर दर्द को इग्नोर करके दुकान लगाते रहे। उनकी इसी लापरवाही की वजह से कमर का दर्द इतना बढ़ गया कि कमर के ऊपर के पूरे हिस्से में असहनीय दर्द होने लगा। आखिरकार दत्ता जी को दुकान की जगह अस्पताल जाना पड़ा। डॉक्टर ने 3 से 4 हजार रुपए में एक महीने की दवाइयाँ खाने को दी। दवाइयों के असर से थोड़ी-बहुत राहत मिली तो दत्ता जी ने फिर से दुकान लगाना शुरू कर दी। लेकिन जैसे ही दवाइयाँ खत्म हुईं तो कमर का दर्द फिर से शुरू हो गया। जब दोबारा डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर में फिर से 1 महीने के लिए दवाइयाँ खाने को दे दी और दर्द के इन्जेक्शन भी लगाए। लेकिन जब तक वह दवाइयाँ खाते तब तक तो उन्हें आराम मिलता, दवाईयां बंद करते ही फिर से दर्द होना शुरू हो जाता था। इस तरह उनकी जिंदगी फिर से कठिन हो गई थी। क्योंकि रोजाना 400 से 500 रुपये कमाने वाले दत्ता जी की लगभग आधी कमाई हर महीने दवाइयों में ही जाने लगी। इस तरह वह पूरे सात साल तक कमर के दर्द से जूझते रहे और दवाइयों में पैसा खर्च करते रहे।
दत्ता जी कमर दर्द से राहत पाने के लिए दिन-रात भगवान से प्रार्थना करने लगे। वो कहते हैं न कि जब शिद्दत के साथ प्रार्थना की जाए तो ऊपर वाला सहायता के लिए किसी न किसी को जरूर भेजता है। दत्ता जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, एक दिन यूट्यूब देखते समय उन्हें हकीम सुलेमान खान साहब के फेमस शो सेहत और जिंदगी की एक वीडियो मिली। इस वीडियो में दत्ता जी ने कई ऐसे लोगों को सुना जो हकीम साहब के नुस्खे अपनाकर सालों पुराने कमर दर्द, घुटने के दर्द, साइटिका, सर्वाइकल और गठिया के असहनीय दर्द से राहत पा चुके थे। इस वीडियो को देखे के बाद उन्हें उम्मीद की किरण दिखाई दी। उन्होंने तुरंत यूट्यूब से नंबर निकाला और हकीम साहब की संस्था में कॉल करके अपनी पूरी समस्या बताई। उनकी समस्या को सही से सुनने और समझने के बाद हकीम साहब की संस्था में मौजूद यूनानी विशेषज्ञों ने उन्हें हकीम सुलेमान साहब की वेबसाईट ATIYA HERBS से गोंद सियाह, जॉइन्ट फॉर्ट S. Care लेने की सलाह दी।
हकीम साहब की बूटियों का प्रभाव
दत्ता जी ने तीनों यूनानी नुस्खों को मंगा लिया और हकीम साहब के बताए अनुसार सेवन करना शुरू कर दिया। सात दिनों में ही इन नुस्खों का असर दिखना शुरू हो गया। 4 से 5 महीने तक हकीम साहब के नुस्खों का सेवन करने से उन्हें 80% से ज्यादा आराम मिल गया। अब दत्ता जी ने फिर से अपने सारे काम पहले की तरह करना शुरू कर दिया। जब हम दत्ता जी से मिलने जयपुर पहुंचे तो उन्होंने हमसे कहा कि “कमर दर्द ने मुझे पूरी तरह से तोड़कर रख दिया था अब हकीम साहब के नुस्खों कि वजह से फिर से सारे काम पहले की तरह कर पा रहा हूँ। जयपुर में ही अपनी दुकान चलाता हूँ और कुछ त्योहारों जैसे दीपावली और रक्षाबंधन पर अपने घर पर भी चला जाता हूँ।”
अगर आप या फिर आपके आस-पास कोई भी इस तरह की समस्या से पीढ़ित है तो जल्द से जल्द हकीम साहब से जुड़े और तकलीफ में राहत पाएं।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है जो समस्त भारतवर्ष में पाया जाता है। इस पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है उसे गोंद सियाह कहते हैं, यह बहुत ही पौष्टिक होता है और सूखने पर काला और ठोस हो जाता है, इस गोंद में उस पेड़ के गुण पाये जाते हैं। गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द के साथ शरीर की कई समस्याओं को हम से दूर रखता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या उनकी संस्था के यूनानी विशेषज्ञों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा या कम मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
S. Care क्या है?
S. Care दवा अच्छी तरह से परीक्षण और शोधित है, जो गठिया जैसे मांसपेशियों और जोड़ों के रोगों के रोगियों को पूर्ण संतुष्टि देती है। इतना ही नहीं, अल्सर और मुंहासे जैसी अन्य बीमारियों पर भी यह दवा व्यापक प्रभाव डालती है। लेकिन यह मुख्य रूप से मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में कारगर है। यह मांसपेशियों की अकड़न का उपचार करता है और दर्द से राहत देता है। इसकी खुराक को हकीम साहब या उनकी संस्था के यूनानी विशेषज्ञों द्वारा बताई गयी मात्रा में ही लेना चाहिए। ज्यादा या कम मात्रा में इसका सेवन इसकी काम करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।