राजधानी दिल्ली के शास्त्री नगर के रहने वाले अशोक भाटिया और उनकी पत्नी कृष्णा पिछले कई वर्षों से शरीर के दर्द और सर्वाइकल से पीड़ित थे । शरीर में होने वाले दर्द ने उनकी ज़िन्दगी की गति धीमी कर दी थी। सर्वाइकल होने के कारण उनको दिन – रात चक्कर और खराब मन के साथ अपना दिनचर्या बिताना पड़ रहा था। वह समय उनके लिए काटना काफी तकलीफदेह साबित हो रहा था। उस दौरान उन्होंने हर डॉक्टर,फ़िज़ियोथेरेपिस्ट के चक्कर काटे लेकिन हर जगह से सिर्फ निराशा ही हाथ लगी लेकिन फिर उन्हें हकीम सुलेमान के घरेलू नुस्खों के बारे में पता लगा जिसने उनको नया जीवन दान दे दिया। यह दावा हम नहीं बल्कि खुद यह दंपत्ति कर रहा है।
अशोक जी की पत्नी कृष्णा भाटिया जो की पेशे से गृहिणी हैं ,वह पिछले कई सालों से सर्वाइकल और जॉइंट पेन से जूझ रही थी। उन्होंने अपनी ओर से हर वो मुमकिन कोशिश करके देख ली थी जिससे उनको आराम मिल सके लेकिन उनके हाथ निराशा के बगैर और कुछ नहीं लगा। उन्होंने कई सालों तक अंग्रेजी दवाईयों का सेवन भी किया जो केवल टेम्पररी समय तक के लिए ही राहत देने योग्य हो पाती थी। फिर उन्हें टीवी प्रोग्राम के ज़रिये हकीम सुलेमान के घरेलू नुस्खों के बारे में खबर हुई जिसने उनके शरीर के दर्द और सर्वाइकल को खत्म कर उनके जीवन को फिर से सुखदेह बना दिया। अंग्रेजी दवाओं के दौर में घरेलू नुस्खों पर विश्वास करना आसान नहीं है लेकिन हकीम जी के नुस्खे और इस दंपत्ति के विश्वास ने उनको उनकी समस्याओं से राहत दिलाने में असरदार तरीके से काम किया।
हकीम जी ने अशोक भाटिया और उनकी पत्नी की समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्हें गोंद सियाह का सेवन करने का सुझाव दिया। जैसे कि हम सब जानते हैं कि यूनानी दवाई असर दिखाने में समय लेती हैं लेकिन समस्या का समाधान जड़ से करती हैं। गोंद सियाह अशोक भाटिया और उनकी पत्नी कृष्णा भाटिया के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। जो दर्द उनका पिछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था वो अब उस दर्द से मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने अब डायबिटीज़ के लिए भी हकीम जी के घरेलु नुस्खों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से अब उनकी यह समस्या भी कंट्रोल में रहने लगी है। अब वह फिरसे अपने आपको स्वस्थ और फुर्तीला महसूस कर पा रहे हैं। इसका सारा श्रेय वे हकीम जी को देते हैं।
पिछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था वो अब उस दर्द से मुक्त हो चुके हैं। उन्होंने अब डायबिटीज़ के लिए भी हकीम जी के घरेलु नुस्खों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से अब उनकी यह समस्या भी कंट्रोल में रहने लगी है। अब वह फिरसे अपने आपको स्वस्थ और फुर्तीला महसूस कर पा रहे हैं। इसका सारा श्रेय वे हकीम जी को देते हैं।
उनका दिनचर्या अब बेहतर तरीके से गुज़र रहा है। उनका शरीर अब बेहतरीन तरीके से काम कर रहा है। अशोक जी और उनकी पत्नी हकीम जी के नुस्खों से इतना प्रभावित हो चुके हैं कि अब वो अपने घर परिवार ,दोस्तों ,रिलेटिव्स को फिट रहने के लिए भी घरेलू नुस्खों का ही सुझाव देते हैं। ये दंपत्ति भी अब हकीम जी के नक़्शे कदम पर चल रहे हैं ,उन्होंने भी अब समाज सेवा के रूप में आर्थिक रुप से कमजोर और जरूरतमंदों को दवाई और नुस्खें पहुँचाना शुरू कर दिया है।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
गोंद सियाह क्या है?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोंद सियाह कैसे मिलता है और यह देखने में कैसा होता है। यह पौधा तिन्दुक कुल एबीनेसी का सदस्य है। इसके कालस्कंध (संस्कृत) ग्राम, तेंदू (हिंदी)। यह समस्त भारतवर्ष में पाया जाता हैं। यह एक मध्यप्रमाण का वृक्ष है जो अनेक शाखाओं प्रशाखाओं से युक्त होता है। गोंद सियाह, पेड़ के तने को चीरा लगाने पर जो तरल पदार्थ निकलता है वह सूखने पर काला और ठोस हो जाता है उसे गोंदिया कहते हैं, गोंद सियाह देखने में काले रंग का होता है। वह बहुत ही पौष्टिक होता है उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण पाए जाते हैं गोंद सियाह हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है जो हमारे जोड़ों के दर्द, शरीर की कई बीमारियों को हम से दूर रखता है ।