लखनऊ की 64 वर्षीय आशा यादव अपने परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी बिता रही हैं। साथ ही अपने स्वस्थ परिवार का भी वह बहुत अच्छे से ख्याल रखती हैं। उनके परिवार में कुल मिलाकर 8 सदस्य हैं। जिसमें उनके दो बेटे, उनकी बहुँए, दो बेटी और उनके पति हैं। आशा यादव काफी सरल स्वभाव और सुलझी हुई महिला हैं। वे किसी भी व्यक्ति या महिला की सहायता करने से पीछे नहीं हटती हैं। आशा यादव जी सेवा परमो धर्मः की राह पर चलने वाली महिला हैं। आशा यादव आज जो अपना जीवन बिता रहीं हैं वह चाहती हैं कि उनके जान पहचान के लोग भी निरोगी जीवन बिताएं। उसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही हैं। अपने इस प्रयास को निरंतर जारी रखने के लिए आशा जी काफी मेहनत और मशक्कत के साथ लोगों की सेवा कर रही हैं।
लेकिन आज से कुछ समय पहले आशा जी का जीवन भी कुछ कम परेशानियों से घिरा हुआ नहीं था। उनके जीवन में भी काफी परेशानियाँ थीं। वे अपनी कई बीमारियों को लेकर काफी चिंता में डूबी रहतीं थीं और यही चिंता आशा जी को अंदर ही अंदर से खाये जा रही थी। आशा जी को घुटनों में दर्द की गहरी समस्या थी। घुटनों के दर्द के कारण उनका चलना फिरना भी मुश्किल हो रहा था। कई डॉक्टरों से इस बीमारियों का इलाज कराया लेकिन दर्द कुछ समय के लिए थम तो जाता पर जड से खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। अपने इसी दर्द की वजह से आशा जी काफी परेशान और मजबूर सी रहने लगीं थी। इसी परेशानी के चलते उन्हें अपने जीवन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। आशा जी बताती हैं कि इस जोड़ों के दर्द से वह पिछले 8 सालों से परेशान थीं। 8 साल घुटनों के दर्द के साथ उन्होंने कैसे और किस हाल में बिताए हैं ये तो बस आशा जी ही जानती हैं।
उनका जीवन जैसे तैसे कट रहा था। उन्हें अपने ठीक होने की कोई राह भी नहीं चमक रही थी। लेकिन डॉक्टर की दवाइयाँ लगातार चल रहीं थीं। डॉक्टर और उनके इलाज के सहारे ही आशा जी का समय कट रहा था। इसी दिनचर्या में एक दिन आशा जी टीवी देख रहीं थीं। टीवी देखते देखते उनकी नजर हकीम सुलेमान खान के बहु चर्चित शो सेहत और जिंदगी पर पड़ी। अब ये ऊपर वाले का करिश्मा था या आशा जी का भाग्य ये तो केवल ऊपरावाला ही बता सकता है। उस दिन आशा जी ने उनका पूरा शो देखा। साथ ही उनके मन में भी एक उम्मीद जोड़ों के दर्द से राहत पाने की जाग गयी। वे मन ही मन सोचने लगीं कि यदि ये सभी घरेलु नुस्खें काम कर जायें तो उनका भी जोड़ों का दर्द ठीक हो सकेगा। इस प्रकार आशा जी के जीवन में हकीम साहब एक फरिश्ता बनकर आये और उन्हें विश्वास था कि हकीम साहब के नुस्खें जरूर काम करेंगे। आशा जी ने हकीम साहब का रोजाना शो देखना शुरू कर दिया।
सेहत और जिंदगी शो में पहली बार आशा जी ने R. CARE CAPSULE के बारे में सुना और हकीम साहब द्वारा सुझाया गया R. CARE CAPSULE को ATIYA HERBS से मंगवा लिया। इस दवा के आने के बाद आशा जी ने पूरे नियम के साथ जैसा हकीम साहब जी ने बताया था वैसे ही खाना शुरू कर दिया। इस दवा का सेवन करते हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि उन्हें आराम लगना शुरू हो गया। आराम लगने के बाद वे हकीम साहब से काफी प्रभावित हुईं। उन्होंने यह कभी सोचा भी नहीं था कि इतने कम समय में कोई दवा उनके घुटनों के दर्द को कम कर सकती है। लेकिन दवाओं का परिणाम अपने सामने देखकर आशा जी खुद हैरान थीं। साथ ही आशा जी को यह खुशी भी थी कि जिस दर्द को वह पिछले 8 सालों से झेल रहीं थीं। उससे अब छुटकारा पाने का समय आ ही गया था। लोगों की तरह ही आशा जी को भी हकीम साहब की दवाईयों का भरपूर फायदा मिला। साथ ही आशा जी के परिवार में अन्य कई समस्याएं भी थीं। वो भी धीरे-धीरे हकीम साहब के घरेलु नुस्खे को अपनाकर खत्म हो गयीं। आशा जी और उनका पूरा परिवार हकीम साहब का खुद पर बहुत एहसान मानतीं हैं। आशा जी की कहना है कि यदि हकीम साहब उनके जीवन में ना आते तो उनका बुढ़ापा काफी ज्यादा समस्याओं में बीतने वाला था। साथ ही हकीम साहब के नुस्खों को उनके परिवार के साथ-साथ उनके मित्र, और रिश्तेदार भी अपनाते हैं।
यहाँ देखिये उन्होंने हकीम साहब को धन्यवाद करते हुए क्या कहा
R. CARE CAPSULE क्या है?
जोड़ों के दर्द और सूजन के लिए R. CARE CAPSULE बहुत ही फायदेमंद होता है। साथ ही यह यूरिक एसिड से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी कारगर है। गंभीर जोड़ों का दर्द, जोड़ों में अत्यधिक सूजन आदि इस दवा की मदद से गायब हो सकती हैं। इस दवा में बवफ्शा, उन्नाब खुश्क, सैपिस्तान, खातमी आदि जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाया गया है। यह बहुत पौष्टिक और हमरे शरीर के लिए काफी फायदेमंद भी होता है। जो कि हमें जोड़ों के दर्द के साथ अन्य कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है।
आशा जी अब हकीम सुलेमान खान जी के द्वारा बताए गए नुस्खों का इस्तेमाल करके अपनी जिंदगी को अन्य कई घातक बीमारियों से भी बचा रही हैं। साथ ही वह अपने पड़ोंसियों और रिश्तेदारों को भी हकीम साहब की इन घरेलु दवाओं का सेवन करने को भी कहती हैं। जिन लोगों को उन दवाओं की जरूरत होती है उन्हें दवा मंगवाकर भी देती हैं। आज आशा जी अपने घुटनों के दर्द से बिल्कुल निश्चिंत होकर अपना जीवन बिता रही हैं। साथ ही परिवार के लोग भी स्वस्थ हैं इससे ज्यादा आशा जी को और कोई दूसरी इच्छा नहीं है। उनका परिवार स्वस्थ रहे, खुशहाल रहे और ऐसे ही हँसता खेलता रहे बसी यही सब सोच विचार कर हकीम जी का अनुसरण करती हैं।