हिंदू धर्म में शनि देव को लेकर ऐसी धारना है कि शनि की छवि जिस इंसान के कुंडली पर पड़ती है. उसके दिन मुश्किलों में आ जाते हैं. ज्योतिषी जब भी कहते हैं कि आपके कुंडली में शनि ने प्रवेश किया है. तब ये भी कहते हैं की जब तक शनि की साढ़ेसाती या ढईया चलेगी तब तक आपके जीवन में कई सारी दिक्कतें आती रहेंगी. हालांकि साथ-साथ यह भी कहते हैं कि शनि देव की आराधना व अर्चना से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं है.
जब आपकी कुंडली में शनि प्रवेश करते हैं तो वो आपके अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा जोखा आपको दिखाते हैं. आप जैसा कर्म करते हैं शनि आपको वैसा ही फल देते हैं. इसी लिए इंसान को सदैव बुरे कर्मों से बचना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए. ऐसा जरुरी नहीं कि जब शनि की आप पर साढ़ेसाती या ढईया हावी हो तभी आप शनि की आराधना करें. आपको हर दिन शनिदेव की पूजा अर्चना करनी चाहिए. शनि देव सूर्य पुत्र हैं. ऐसा भी कहा जाता है कि सारे अच्छे बुरे कामों का लेखा जोखा शनि देव के पास ही होता है.
शनि देव के कुछ ऐसे मंत्र हैं. जिनका जाप करने से आपके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं साथ ही शनि की साढ़ेसाती या ढईया की अवधी में भी शनि देव ज्यादा क्षति नहीं पहुंचाते हैं.
ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
यह शनि देव का वैदिक मंत्र है. इस मंत्र का जाप कर प्रतिदिन शनि देव की पूजा करें. इससे आपके जीवन की सारी मनोकामना पूर्ण होगी. साथ ही शनि देव आपको हर मुसीबतों से बचाएंगे.
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।
हम जब किसी भी देवी-देवता का पूजन करते हैं. तो जाने अनजाने में कई गलतियाँ कर जाते हैं. उस गलती का माफ़ी मांगने के लिए प्रतिदिन शनि देव के पूजा-अर्चना के बाद शनि देव का ध्यान लगाकर इस मंत्र का जाप करिए. इसके जाप से पूजा अर्चना के दौरान जाने अनजाने में आपसे जो भी गलती होगी. उसे शनि देव आपकी भूल समझ कर माफ़ कर देंगे.
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।
इस मंत्र का प्रयोग तांत्रिक अपनी तंत्र विद्या की सिद्धि के लिए करते हैं. बेहतर होगा आप इस मंत्र का प्रयोग ना करें. इसका प्रयोग अगर गलत नियत से किया जाए तो कई मुसीबतों का सामना भी करना पड़ सकता है.
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शंयोरभिश्रवन्तु नः।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
यह मंत्र शनि की साढ़ेसाती के असर से बचने के लिए है. शनि की साढ़ेसाती या ढाईया के दौरान इस मंत्र का जाप करने से साढ़ेसाती और ढाईया के असर कम हो जाते हैं. साथ ही आपको एक सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती है. ज्योतिषी विद्या के अनुसार साढ़ेसाती या ढाईया के दौरान महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भी काफी असर होता है. इस मंत्र का जाप करने से भी साढ़ेसाती और ढाईया के असर कम हो जाते हैं. साथ ही अकाल मृत्यु का संकट ख़त्म हो जाता है.